एक आम नौकरी पेशा
व्यक्ति के आँखों की चमक
है लहराती
जब आ जाती
महीने की पहली तारिख
होता है
हाथो में पूरा वेतन
परन्तु फिर भी
होती है
एक चुनौती
क्योंकि बीत चुके
फाके के दिन
और
अनदेखे भविष्य का सामना
हर महीने
का हर पहला दिन
दिखता है एक साथ
रहती है उम्मीद
बदलेगा दिन
बदलेगा समय
दोपहर की धुप हो पायेगी नरम
ठंडी गुनगुनाती हो पायेगी शाम
सुबह का सूरज
निकलेगा एक अलग अहसास के साथ
पर,
पता नहीं क्यूं
हर महीने
हर उस दिन
हर बार
कुछ नहीं बदलता
नहीं बदलती है
मुश्किलें
नहीं बदलती है
कमियां
बदलती है
तो जरूरतें
बदलती है
तो फरमाइश
बदलती है
तो एक और
नए महीने की
पहली तारिख
एक और तारिख.............!