कर रहे थे मेहनत
जी रहे थे कुछ रोटियों के साथ..
जो कभी कभी होती
थी बिना सब्जी के साथ...
पर रात की नींद
होती थी गहरी
होती थी
रंग बिरंगे सपने के साथ
पर इन्ही सुनहरे सपनो ने
फिर उकसाया
मेहनत की कमाई
महीने में एक बार मिलता वेतन
नहीं दे पायेगा..
ऐश से भरी जिंदगी
कैसे पाओगे
"क्वालिटी ऑफ़ लाइफ"
क्या करोगे तो
पा जाओगे ऐसा जीवन
कि हर सांसारिक सुख
हो जाये हासिल
जिसकी हो तमन्ना!!
चाहत थी बड़ी
पर कोशिश में नहीं था दम
चाहिए था धन..
इसलिए किया
जीवन मूल्यों से खिलवाड़
लिप्त हो गए
करने लगे भ्रष्टाचार
लगाई सरकारी खजाने में
घुसपैठ
हो गए वो सब अपने
जिसके देखे थे सपने...
पर जो न मिल पाया
वो था चैन
उड़ गयी थी घर कि शांति
फिर नहीं देख पा रहा था सपना
क्यूंकि नींद भी तो उड़ गयी थी अपनी .
क्वालिटी ऑफ़ लाइफ
पाने कि चाहत
ने उड़ा दी थी चेहरे कि रंगत
उड़ा चुकी थी चेहरे कि रंगत..............