कर रहा था इंतज़ार
ऑपरेशन थियेटर के बाहर
तभी नर्स ने निकल कर पकड़ाया
और था, हाथो में, नन्हा सा नाजुक सा
होगा सिर्फ डेढ़ या दो बितता
था, अंडर वेट भी
पर था, पहली नजर में ही दिल
का टुकड़ा
एक क्षण में समझ आ गया था
क्या होता है, बनना पापा .......
पहले आता था गुस्सा, अपने पापा
पर
क्यों? करते हैं इतना इंतज़ार
इतनी ज्यादा बात बात पर देखभाल
पर क्षण भर मे , चल गया था पता
क्या होता है दर्द, पापा बनने का
हुक सी लगी थी
जब वो नर्स की हाथों में चिंहुका ...
अन्तर्मन से निकली थी आशीष
बेटा! है बस एक तमन्ना
तू मेरे नाम से नहीं
मैं तेरे नाम से जाना जाऊँ.........